Guru Govind Singh biography in Hindi

By | December 29, 2021

गुरु गोविन्द सिंह की जीवनी (जन्म, परिवार, मृत्यु), खालसा की स्थापना, पुत्र का नाम, व्यक्तिगत जीवन Guru Govind Singh biography in Hindi

गुरु गोविंद सिंह की जीवनी (Guru Govind Singh biography in Hindi)

नमस्कार ! आज हम सिखों के दसवें गुरु यानी कि गुरु गोविंद सिंह की जीवनी आपके साथ शेयर कर रहे हैं, जिसमें हम आपको बताने वाले हैं उनके जीवन से जुड़े हर महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में, जो आज भी हमारे लिए प्रेरणा का एक प्रमुख स्रोत है। गुरु गोविंद सिंह की जीवनी (Biography of Guru Gobind Singh in Hindi) के अंतर्गत हम उनके जन्म, शिक्षा, परिवार, पत्नियों एवं पुत्रों के अलावा गुरु गोविंद सिंह जी के द्वारा खालसा की स्थापना एवं लड़े गए विभिन्न युद्धों की चर्चा करने वाले हैं। तो चलिए जानते हैं गुरु गोविंद सिंह जी के बारे में।

गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म (Birth of Guru Gobind Singh) कब हुआ?

गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म (Birth of Guru Gobind Singh) 22 दिसंबर 1966 ईस्वी में हुआ था। गुरु गोविंद सिंह जी के जन्म के समय इनके पिता असम में धर्म शिक्षा दे रहे थे, उसी वक्त इनका जन्म हुआ था। गुरु गोविंद सिंह के माता एवं पिता का नाम क्रमशाह तेग बहादुर एवं गुजरी था। इनके पिता नौवें सिख गुरु श्री तेग बहादुर जी थे। गुरु गोविंद सिंह के बचपन का नाम गोविंद राय था। इनका जन्म जिस स्थान पर हुआ था एवं उन्होंने अपना 4 वर्ष जन्म के पश्चात जिस स्थान पर बिताए थे, उस स्थान पर आज तखत श्री हरीमंदिर जी पटना साहिब स्थित है।

गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार (Family of Guru Gobind Singh) कैसा था?

गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार (Family of Guru Gobind Singh) की बात करें तो बता दें कि गुरु गोविंद सिंह सिक्ख परिवार से आते थे। सिक्खों के गुरु गोविंद सिंह जी के पिता का नाम गुरु तेग बहादुर एवं माता का नाम गुजरी था। गुरु गोविंद सिंह के जन्म के 4 साल तक वह पटना में रहे थे।

1670 ईस्वी में उनका परिवार पंजाब आ गया एवं 1672 ईस्वी में उनका परिवार हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्कनानकी नामक स्थान पर आ गया। चक्कनानकी ही आजकल आनंदपुर साहिब कहलाता है। यहीं पर गुरु गोविंद साहब की शिक्षा दीक्षा पूरी हुई थी एवं यहीं पर उन्होंने फारसी एवं संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने एक कुशल योद्धा बनने के लिए सैन्य कौशल भी यहीं सीखा था। वे 1685 तक यमुना नदी के किनारे पाओटा नामक स्थान पर रहे थे।

गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षा (Guru Govind Singh education) कहां से हुई?

गुरु गोविंद सिंह का परिवार हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्कनानकी नामक स्थान पर 1672 ईस्वी में आ गया था। चक्कनानकी आजकल आनंदपुर नामक स्थान के नाम पर जाना जाता है। गुरु गोविंद सिंह की शिक्षा यहीं से पूरी हुई थी। उन्होंने फारसी संस्कृत की शिक्षा यहां से ली थी।

गुरु गोविंद सिंह जी की दशवी गुरु बनने के बाद भी उनकी शिक्षा जारी रही। शिक्षा के अंतर्गत उन्होंने पढ़ना-लिखना, घुड़सवारी करना, सैन्य में कुशल बनना आदि सीखा।

गुरु गोविंद सिंह की प्रमुख रचनाएं (Guru Gobind Singh important compositions) क्या हैं?

गुरु गोविंद सिंह की प्रमुख रचनाओं में जाप साहिब, अकाल उस्तत, शास्त्र नाम माला, अथपखया चरित्र लिखयते, जफरनामा, खालसा महिमा इत्यादि प्रमुख हैं। इसके अलावा 1684 ईस्वी में उन्होंने चंडी दी वार की रचना की।

गुरु गोबिंद सिंह जी की कितनी पत्नियां (Guru Govind Singh wifes) थीं?

गुरु गोविंद सिंह जी की पत्नी (Guru Govind Singh wifes) की बात करें तो बता दें कि गुरु गोविंद सिंह जी की तीन पत्नियां (wife) थीं। गुरु गोविंद सिंह जी जब 10 साल के थे तभी उनका विवाह 21 जून 1677 ईस्वी को हो गया था एवं उनकी पत्नी का नाम जीतो था। उनकी पत्नी जीतो का घर बसंतगढ़ नाम के गांव में था जो आनंदपुर से कुल 10 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित था।

गुरु गोविंद सिंह जी का दूसरा विवाह मात्र 17 साल की उम्र में माता सुंदरी के साथ आनंदपुर में ही हुआ।

इनका तृतीय विवाह 33 वर्ष की आयु में 15 अप्रैल 1700 ईसवी में माता साहिब से हुआ। सरल भाषा में कहें तो गुरु गोविंद सिंह की तीन पत्नियां थीं, जिनका नाम क्रमशः कन्या जीतो, माता सुंदरी और माता साहिब था।

गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्र (Sons of Guru Gobind Singh) कितने थे?

गुरु गोविंद सिंह एवं माता जीतो के 3 पुत्र हुए थे, जिनका नाम क्रमशः जुझार सिंह, जोरावर सिंह फतेह सिंह था। गुरु गोविंद सिंह जी ने जब माता सुंदरी के साथ विवाह किया तब उनका एक पुत्र हुआ, जिनका नाम अजीत सिंह था। वही बात करें उनकी तीसरी पत्नी की तो माता साहिब की वैसे तो इनके कोई संतान नहीं थी, पर इतिहास के पन्नों में भी इनका दौर बहुत ही प्रभावशाली है। अर्थात गुरु गोबिंद सिंह को चार पुत्र थे जिनके नाम साहिबजादाआजीत सिंह,  साहिबजादाजुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादाफतेह सिंह था।

गुरु गोविंद सिंह के दसवें गुरु (10th Guru of Sikhs) बनने का इतिहास क्या है?

गुरु गोविंद सिंह जी के दसवें गुरु बनने के पीछे का एक इतिहास यह है कि 1675 ईसवी के शुरुआत में कश्मीरी हिंदुओं का एक समूह जो मुगलों द्वारा तलवार की नोक पर इस्लाम धर्म में परिवर्तित किया जा रहा था, वह हताशा में यह बात आनंदपुर तक पहुंच गई। जब यह बात गुरु तेग बहादुर को पता चली तो उन्होंने हिंदुओं की दुर्दशा को सुधारने के लिए एक फैसला लिया कि वह तुरंत भारत की राजधानी दिल्ली जाएंगे। इसके बाद उन्होंने अपने 9 साल के बेटे गोविंद राय यानी गुरु गोविंद सिंह को सिखों का उत्तराधिकारी और दसवां गुरु नियुक्त किया और दिल्ली चले गए। तभी से गोविंद राय यानी गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु माने जाने लगे।

गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा की स्थापना (establishment of Khalsapanth) कब की?

गुरु गोविंद सिंह जी को खालसा की स्थापना करने के लिए काफी श्रेय दिया जाता है। 13 अप्रैल 1699 ईसवी में यानी कि बैसाखी के दिन उन्होंने पांच पियारों की मदद से खालसा की स्थापना की थी।

गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब कब छोड़ा?

गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब 1705 ईस्वी में छोड़ा था।

गुरु गोविंद सिंह जी के युद्ध (Wars of Guru Govind Singh) कौन-कौन से थे?

समाज सेवा एवं देश हितैषी से पीछे न हटने वाले गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने बल पर मुगलों को देश से निकाल बाहर करने के लिए गुरु गोविंद सिंह काफी अच्छे से जाने जाते थे। प्राण अर्पण से पीछे न हटने वाले गुरु गोविंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ मुख्यतः 5 तरह के युद्ध लड़े थे। उनमें प्रथम 1689 ईस्वी में भंगारी का युद्ध,1690 ईस्वी में मुगलों का युद्ध, 1700 में आनंदपुर का युद्ध, 1703 ईस्वी में चमकौर का युद्ध और 1704 ईस्वी में मुख़्तसर का युद्ध शामिल हैं।

गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा के युद्ध (Khalsa war of Guru Gobind Singh) के लिए कौन-कौन से नियम दिए?

गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा की युद्ध के लिए निम्न नियम दिए थे –

• बालों के प्राकृतिक विकास को बढ़ने से न रोका जाए।

• किसी भी जानवर का कूड़ा मांस न खाया जाए।

• अपने पति या पत्नी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ सहवास न करना।

• तंबाकू, शराब या किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना।

गुरु गोविंद सिंह जी की मृत्यु (Guru Govind Singh death) कैसे हुई?

गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु एक रहस्यमई घटना है परंतु ऐसा माना जाता है कि उनकी मृत्यु दिल पर गहरी चोट लग जाने के कारण हुई थी। उनकी मृत्यु को लेकर एक और घटना का जिक्र करते हुए यह भी कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी जब अपने कक्ष पर आराम कर रहे थे तब उसी में से किसी एक पठान ने उठ कर उनके सीने के बाएं ओर छुरा घोंप दिया। उसी वक्त दूसरा पठान भी उठकर उन पर हमला करने ही वाला था, तभी गुरु गोविंद जी ने उसे कृपाण के वार से मार गिराया परंतु क्षण भर के पश्चात ही गुरु गोविंद सिंह जी ने अपना दम तोड़ दिया।

गुरु गोविंद सिंह जी का देहांत 7 अक्टूबर 1708 ईस्वी को हुआ था। उन्होंने मरते दम तक वीरता के साथ अपना दम तोड़ा था। तख्त सचखंड श्री हजूर आंचल नगर साहिब नांदेड़ (Takhatsachkhand Sri HazurAnchal Nagar Sahib, Naded) गुरु गोविंद सिंह जी का मृत्यु स्थान (place of death of Guru Govind Singh) था।

निष्कर्ष (Conclusion) :

हमें उम्मीद है कि आपके लिए गुरु गोविंद सिंह की जीवनी (Biography of Guru Gobind Singh in Hindi) की यह आर्टिकल काफी मदद कर रही होगी। इसमें हमने गुरु गोविंद सिंह के प्रारंभिक जीवन से लेकर अंत तक के सभी घटनाओं का जिक्र किया है, जिसके माध्यम से आपको गुरु गोविंद सिंह के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी।

इसके माध्यम से आप समझ ही गए होंगे कि गुरु गोविंद सिंह जी ने सिख पंथ को एक नया रूप देने के साथ-साथ हमारे समाज के लिए जो महत्वपूर्ण कार्य किए, वे वाकई में सराहनीय हैं। इसके लिए आने वाली पीढ़ी भी उन्हें सदैव याद करेगी। यदि आप चाहते हैं कि अन्य लोगों को भी इस आर्टिकल के माध्यम से गुरु गोविंद सिंह की जीवनी एवं उनके महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में पता चले तो इसे जरूर से जरूर शेयर करें और हमारे साथ जुड़े रहें।

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