अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश निर्वाचित NyayMurti Dalveer bhandari
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के बीच होने वाली समस्याओं और मुद्दों को सुलझाने के लिए एक न्यायालय को स्थापित किया गया है, जो विश्व के देशों के मध्य होने वाले समस्याओं का समाधान करती है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश होते हैं जिनका चुनाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है।
इस आर्टिकल में हम बात करेंगे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बारे में जिनका चयन हाल ही में हुआ है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बारे में जानने से पहले आपको अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के बारे में जानना बहुत ही आवश्यक है, तो चलिए हम बात करेंगे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश और इनसे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में –
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय :
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का चुनाव महासभा के सदस्यों के द्वारा होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितने भी देश है, प्रत्येक देश के एक-एक प्रतिनिधि मुख्य न्यायाधीश के लिए खड़े होते हैं। उन सभी प्रतिनिधियों में से किसी एक प्रतिनिधि को वोटिंग देकर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश का चुनाव किया जाता है। न्यायाधीशों की लिस्ट में खड़े कैंडिडेट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न देश अपना मत देकर किसी एक व्यक्ति को चुनता है जिसे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बना दिया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में महासभा द्वारा कुल 15 न्यायाधीश चुने जाते हैं और साथ 3 साल के लिए एक प्रेसिडेंट और एक वाइस भी प्रेसिडेंट को भी चुना जाता है, जो 9 वर्ष के कार्यकाल को पूरा करते हैं। उसके बाद भी वह चाहे तो फिर से उम्मीदवार के तौर पर खड़े हो सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की शानदार जीत :
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की शानदार जीत देखी गई है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इस बार भारत से मुख्य न्यायाधीश चुने गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत से कोई व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बना है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की चाणक्य कूटनीति ने इस बार यह कमाल दिखा दिया कि विश्व स्तर पर भारत ने बहुत बड़ी जीत दर्ज की है। इसके पहले अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहले भारतीय न्यायधीश पेनिकल रामाराम थे।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सभी 193 देशों के मध्य 11 राउंड की वोटिंग हुई, जिसमें से न्यायाधीश दलवीर भंडारी तो महासभा में 193 में से 183 वोट प्राप्त हुए साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा पर के 15 सदस्यों में से सभी 15 वोट उनके ही खाते में चले गए। इस प्रकार भारत के न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने भारी मतों से विश्व स्तर पर अपनी जीत दर्ज की।
ब्रिटेन को मिली बहुत बड़ी हार :
इस बार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के चुनाव में ब्रिटेन की हार एक बेहतरीन उदाहरण माना जा रहा है जो विश्व भर में भारत का अन्य देशों के साथ मजबूत रिश्ते और भरोसे को दिखाता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने किस प्रकार अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध बनाकर उनका भरोसा जीता है और गहरा संबंध बनाया है। उसी के कारण यह नतीजा है कि भारत के न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में चयन किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के 193 सदस्य देशों के बीच चुनाव किया गया, जिसमें से प्रत्येक देश से एक-एक प्रतिनिधि खड़े थे। कुल 193 मतों में से भारत के न्यायमूर्ति दलवीर सिंह को 183 मत मिले। दरअसल न्यायमूर्ति दलवीर सिंह के टक्कर में ब्रिटेन के न्यायमूर्ति क्रिस्टोफर ग्रीनवुड खड़े थे, लेकिन दलवीर सिंह ने उन्हें हराकर अपनी जीत दर्ज की। साथ ही साथ इस पद पर 71 साल पुराने ब्रिटिश एकाधिकार को भी तोड़ डाला। यह भारत के लिए बेहद ही अनोखी खबर है, जिसने विश्व में भारत का स्थान काफी ऊंचा उठाया है।
पीएम मोदी और विदेश मंत्रालय की लगातार कोशिश :
भारत की शानदार जीत के पीछे पीएम मोदी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर पीएम मोदी लगभग पिछले 6 महीने से इस विषय पर काम कर रहे थे। विश्व के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी 193 देशों के मध्य जाकर अपनी जगह बनाना उनके प्रतिनिधियों तक पहुंचना बहुत ही कठिन था। इसके साथ ही ब्रिटिश उम्मीदवार के समक्ष अपने भारत की स्थिति की व्याख्या करना एक बेहद ही मुश्किल काम था जिसे उन्होंने पूरा किया जिसके परिणाम स्वरूप यह जीत सुनिश्चित हुई।
न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी|NyayMurti Dalveer bhandari
जनवरी 2012 में भारत सरकार में न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी को अपने आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में नामित किया था। 2012 में हुए चुनावों में फिलीपींस सरकार द्वारा नामित अपने प्रतिद्वंदी फ्लोरेंटीनो फेलिसियानो के 58 वोट के विरुद्ध भंडारी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 122 मत प्राप्त किए थे। इसके पश्चात 20 नवंबर 2017 को ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड अपना नामांकन वापस लेने के बाद दलवीर दूसरे सत्र के भी न्यायाधीश चुने गए। इस प्रकार वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में दलवीर भंडारी अपने पद पर कार्यभार संभाल रहे हैं। ब्रिटेन ने महासभा में चुनावी प्रक्रिया के दौरान भारत को बहुत ही गंभीरता से लिया।
जस्टिस दलवीर भंडारी का कार्यकाल : Nyaymutri Dalveer Bhandari tenure
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में जस्टिस दलवीर भंडारी 9 साल तक इस पद पर कार्य करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि क्या यह 183 देशों जिन्होंने दलवीर भंडारी के पक्ष में वोट दिया है वो मोदी के अंधे भक्त हैं या फिर पीएम मोदी ने सच में इस बार ऐसी चाणक्य की कूटनीति बनाई है जिससे ब्रिटेन का 71 साल का रिकॉर्ड टूट गया। आजादी के 75 साल बाद मोदी जी ने दुनिया भर में भारत की एक अनोखी छवि बना दी है, जिसके फलस्वरुप ही दुनिया भर के सभी देशों के साथ विनम्र, महान और सम्मानजनक संबंध बना। इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण के तौर पर दलवीर सिंह का मुख्य न्यायाधीश बन जाना है।
प्रधानमंत्री मोदी की चाणक्य नीति :
भारत की बहुत बड़ी जीत के पीछे मोदी की चाणक्य नीति को माना जा रहा है। चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य साम्राज्य के एक सलाहकार होने के साथ-साथ भारत के एक बहुत बड़े दार्शनिक और अर्थशास्त्री भी थे। चाणक्य के दिए गए सिद्धांत एवं उनकी नीतियां एक राज्य के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक मानी जाती थी।
नरेंद्र मोदी ने चाणक्य के सिद्धांत को अपनाया है। चाहे वह अपने देश में दिया जाने वाला संदर्भ, “सबका साथ, सबका विकास” हो। यह चाणक्य के सिद्धांतों के आधार पर ही दिया गया था, जिसके अनुसार चाणक्य का मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति राजा पर तभी विश्वास करेगा जब प्रत्येक नागरिक का विकास हो। ऐसे में नरेंद्र मोदी ने चाणक्य के लेखन को पढ़कर भारत के प्रत्येक नागरिक के विकास के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया।
राजा को लेकर मोदी की चाणक्य नीति :
जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाणक्य के सिद्धांतों को अपनाया तो ऐसे में मोदी खुद को राज्य और नागरिकों का प्रधान सेवक कहने लगे। दरअसल चाणक्य ने राजा को लेकर यह अवधारणा दिया था कि शासक कोई भगवान नहीं होता है बल्कि केवल संविधान का पालन करने वाला व्यक्ति होता है जो अपने नागरिकों की सेवा के लिए नियुक्त किया जाता हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ में दिया मोदी ने चाणक्य मंत्र :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस प्रकार लगातार भारत का विश्व स्तर में जगह बनाने के लिए और उसके संचालन के लिए चाणक्य नीति अपनाएं, उसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के साथ संबंध बनाने के लिए भी चाणक्य की कूटनीति को अपनाया। वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में 76 वर्ष सत्र को संबोधित करते हुए वैश्विक समुदाय के विकास के लिए भारत द्वारा किए गए सभी कार्यों का व्याख्यान कर करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी सहयोगी नीतियों को बतलाया। साथ ही उन्होंने भारत के महान अर्थशास्त्री और राजनीति के जानकार चाणक्य के कथन को कहकर संयुक्त राष्ट्र संघ में एक बेहद ही अनोखी छवि प्रदर्शित की।
जैसा कि संयुक्त राष्ट्र संघ पर ऐसे आरोप लगते आ रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ वैश्विक समस्याओं को समझाने में असफल हो रहा है और वह वैश्विक मामले पर अपनी चुप्पी भी साध लेता है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ को संदेश दिया, ” दो विश्व युद्ध तो पहले भी हो चुके हैं, अभी जो हथियारों की होड़ मची है उससे कहीं तीसरा विश्व युद्ध ना हो जाए”। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ से साफ तौर पर कहा कि वह अपना प्रभाव दिखाने के लिए जल्द से जल्द कड़े कदम उठाएं।
इस प्रकार कह सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों द्वारा मिला यह समर्थन भारत की नीतियों को और भी मजबूत बनाता है। भारत की राजनीति को संवैधानिक रूप से शक्तिशाली, अखंड और भारत की न्यायपालिका के स्वतंत्रता के प्रति सम्मान को दिखलाता है।
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